Hindi Poem (हिंदी कविता ) - 13: INTERN एक इन्टर्न को भी जीने का अधिकार है

ये ना करो, ये अत्याचार है
एक इन्टर्न को भी जीने का अधिकार है

साला, सुबह आठ बजे बुलाते है
शाम पांच तक पकाते है
और नेट की स्पीड बेकार है
एक इन्टर्न को भी जीने का अधिकार है

क्या चाहते है पता नहीं
बस फंडे पेलते जाते है
हम सुने परवाह नहीं,
बस अपनी धुनी रंवाते है
एक इन्टर्न को भी जीने का अधिकार है

रूपये दे रहे दस हज़ार
"वर्क वैलू" चाहिए पचास हज़ार
बोलते है "रेज़रफिश" लेवल की साईट बनाओ
हम बना देंगे १०, बीस लाख देके बताओ
खाना तो ऐसे चाहते है
मानो हम अचार है
एक इन्टर्न को भी जीने का अधिकार है

Comments

Popular posts from this blog

Type of Common Charts used in visualization

बैगन

Building a Better Future: Pathways Over Chariots