Hindi Poem (हिंदी कविता ) - 14:

वचन बद्धता

मैं या तो नहीं करता
तुम्हारी परवाह;
गर करता भी तो
नहीं है व्यक्त करने की चाह;
मुझे यकीं नहीं किसी पर भी
ना तुम पर, ना अपने आप पर भी;
पर इतना कह सकता हूँ
मांगोगी तो -
ये हस्ती है तेरे लिए
ये मुस्कान तुम्हारी है,
ये वजूद है तेरा,
ये जान तुम्हारी है"
ये मेरे वचन बद्धता है
अब तो मैं अपनी भी नहीं सुनूंगा

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क्यों हो गया आज आसमां शराबी

है ये कोई जादू या मेरे दिल की खराबी
क्यों हो गया आज आसमां शराबी


यूँ तेरी जुल्फें जो लहराई
क्यों है काली घटा छाई
क्यों शर्माए ये फूल
देख तेरे होंठ गुलाबी
है ये कोई जादू या मेरे दिल की खराबी
क्यों हो गया आज आसमां शराबी


चेहरे के तुम्हारे, सामने
ये चाँद काला हो गया
धीरे से तुम जो मुस्काई
शब् में उजाला हो गया
जाती हो कहाँ तुम पलभर में
ना की है अभी तो गुस्ताखी
है ये कोई जादू या मेरे दिल की खराबी
क्यों हो गया आज आसमां शराबी

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ये मेरा देश है  जैसे विदेश है

हिंदी है वतन की
भाषा मेरी
अंग्रेजी मैं बोलता हूँ
अंग्रेजी में नापता हूँ
अंग्रेजी में तोलता हूँ
फिर भी मुझे आवेश है
ये मेरा देश है
जैसे कोई विदेश है


कलयुग का है ये
कैसा हाल
हंस चला कोए
की चाल
चाल ढाल
हर बात में
बदला मेरा भेष है
ये मेरा देश है
जैसे विदेश है |


शिक्षा है मेरी यहाँ की
सेवा करूँगा मैं वहां की
ये देश तो पिछड़ा देश है
ये मेरा देश है
जैसे विदेश है |

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