Manan 2: उपदेश :)
इंसान गलत नहीं होता उसकी सोच गलत होती है
इंसान गलत हो ऐसा बहुत कम होता है ज्यादातर उसकी सोच गलत होती है | हर इंसान अपने आप में सही होता है | अगर उसको पता ही होता की उसकी कोई बात या फैसला गलत है तो वह उसको सही कर लेता | वह चीज़े सही नहीं करता क्योंकि उसको विश्वास है वो जो कर रहा है वो सही है, ऐसा ही होना चाहिए और दूसरा तरीका पहले वाले से अच्छा नहीं है |
इंसान एक समय पर जो भी है वह अपने फैसलों और कर्मो की वजह से है
इंसान को अगर लगता है कि उसके पास दूसरो के मुकाबले कम है या वह दुखी है तो वह इन बातों के लिए या तो कोई बहाना बना लेता है या फिर किसी को दोषी ठहरा देता है | हमें इस बात को मानना चाहिए कि कोई भी इस समय किसी भी पायदान पर हो वह अपने कर्मो और फैसलों कि वजह से है | हाँ, ठीक है आपके कर्म या आपके फैसले प्रभावित हुए हो पर इसकी वजह भी तुम्हारी कमियां थी | उस समय आपको इतनी समझ नहीं थी कि खुदसे फैसले ले सके तो आपने सीखने के वजाय दूसरों पर विश्वास करना सही समझा | अब आपको ज्ञान मिल गया है तो आपको वह फैसला गलत लग रहा है |
उम्मीद काफी सारे मुटावो और दुखो कि जड़ है
इंसान कि एक बड़ी कमजोरी है - "उम्मीद" | वह हर किसी से उम्मीद रखता है | एक विद्यार्थी अध्यापक से उम्मीद रखता है, अपने दोस्तों से उम्मीद रखता है, अपने रिश्तेदारों से उम्मीद रखता है, अपनी प्रेमिका से उम्मीद रखता है, अपने माता - पिता, बहन-भाई से उम्मीद रखता है | ये उम्मीदे जिससे है उसको पता भी नहीं होता कि कोई उनसे इतनी उम्मीदें बाँध के बैठा है | जब लोग उन उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो या तो मुटाव पनपते है या लोग दुखी होते है |
उम्मीदें होनी ही नहीं चाहिए, हो सके तो सिर्फ खुदसे उम्मीद रखो मेरी सुनो तो वो भी मत रखो बस अपना उत्तम प्रयास करो |
इंसान गलत हो ऐसा बहुत कम होता है ज्यादातर उसकी सोच गलत होती है | हर इंसान अपने आप में सही होता है | अगर उसको पता ही होता की उसकी कोई बात या फैसला गलत है तो वह उसको सही कर लेता | वह चीज़े सही नहीं करता क्योंकि उसको विश्वास है वो जो कर रहा है वो सही है, ऐसा ही होना चाहिए और दूसरा तरीका पहले वाले से अच्छा नहीं है |
इंसान एक समय पर जो भी है वह अपने फैसलों और कर्मो की वजह से है
इंसान को अगर लगता है कि उसके पास दूसरो के मुकाबले कम है या वह दुखी है तो वह इन बातों के लिए या तो कोई बहाना बना लेता है या फिर किसी को दोषी ठहरा देता है | हमें इस बात को मानना चाहिए कि कोई भी इस समय किसी भी पायदान पर हो वह अपने कर्मो और फैसलों कि वजह से है | हाँ, ठीक है आपके कर्म या आपके फैसले प्रभावित हुए हो पर इसकी वजह भी तुम्हारी कमियां थी | उस समय आपको इतनी समझ नहीं थी कि खुदसे फैसले ले सके तो आपने सीखने के वजाय दूसरों पर विश्वास करना सही समझा | अब आपको ज्ञान मिल गया है तो आपको वह फैसला गलत लग रहा है |
उम्मीद काफी सारे मुटावो और दुखो कि जड़ है
इंसान कि एक बड़ी कमजोरी है - "उम्मीद" | वह हर किसी से उम्मीद रखता है | एक विद्यार्थी अध्यापक से उम्मीद रखता है, अपने दोस्तों से उम्मीद रखता है, अपने रिश्तेदारों से उम्मीद रखता है, अपनी प्रेमिका से उम्मीद रखता है, अपने माता - पिता, बहन-भाई से उम्मीद रखता है | ये उम्मीदे जिससे है उसको पता भी नहीं होता कि कोई उनसे इतनी उम्मीदें बाँध के बैठा है | जब लोग उन उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो या तो मुटाव पनपते है या लोग दुखी होते है |
उम्मीदें होनी ही नहीं चाहिए, हो सके तो सिर्फ खुदसे उम्मीद रखो मेरी सुनो तो वो भी मत रखो बस अपना उत्तम प्रयास करो |
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