Hindi Poem (हिंदी कविता ) - 9: आज का इंसान
मैं खुश हूँ या नहीं
वो खुश नहीं होगा
तभी मैं खुश रहूँगा
सब के सर पर
पाँव रख कर मैं
अपनी मंजिल चधुन्गा
काम ऐसा कर जाऊं
खुदा की आँखे भर जाए
देख मेरी इंसानियत
हैवान भी डर जाए
करू कुछ ऐसा की
खून की हो वैसाखी
ऐसा ही शैतान हूँ मैं
हूँ मैं इंसान या
फिर कोई हैवान हूँ मैं
वो खुश नहीं होगा
तभी मैं खुश रहूँगा
सब के सर पर
पाँव रख कर मैं
अपनी मंजिल चधुन्गा
काम ऐसा कर जाऊं
खुदा की आँखे भर जाए
देख मेरी इंसानियत
हैवान भी डर जाए
करू कुछ ऐसा की
खून की हो वैसाखी
ऐसा ही शैतान हूँ मैं
हूँ मैं इंसान या
फिर कोई हैवान हूँ मैं
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