Hindi Poem (हिंदी कविता ) - 21: Some of my favorites



लिखा हुआ हर एक शब्द काल्पनिक है | इसका किसी भी व्यक्ति या वस्तु से वास्तविक सम्बन्ध नहीं है | अगर किसी व्यक्ति का इससे कोई वास्तविक सम्बन्ध पाया जाता है तो यह मात्र एक संयोग होगा |

स्वार्थ

बस इतना मांगता हूँ
मैं जो भी करू खुश रहू
मेरा परिवार खुश रहे
मेरा देश प्रसंनित हो
और संसार खुश रहे

मेरा भला हो
मेरे परिवार का भला हो
भला हो देश का
ये संसार फूले फले

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कल

कल किसी कहानी में
समाज का चेहरा दिखेगा नहीं
कोई कथाकार
ऐसी शक्ल बुनेगा नहीं
क्योंकि -
वह इतना जान लेगा
कि डरने लग गया है
इन्सां अपने अक्स से
अपने बिम्ब से
वह स्वंयं को
जानना चाहेगा नहीं
और
वह जियेगा
सपनो में
जागेगा नहीं

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भावनाएं

मैं या तो नहीं करता
तुम्हारी परवाह;
गर करता भी तो
नहीं है व्यक्त करने की चाह;
मुझे यकीं नहीं किसी पर भी
ना तुम पर, ना अपने आप पर भी;
पर इतना कह सकता हूँ
मांगोगी तो -
ये हस्ती है तेरे लिए
ये मुस्कान तुम्हारी है,
ये वजूद है तेरा,
ये जान तुम्हारी है”
ये मेरे वचन बद्धता है 

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जाएं तो जाएं हम किधर जाए

जाएं तो जाएं हम किधर जाए,
इसी मुश्किल में महफ़िल सजाये

जिए तो जिए कैसे बिन तेरे
जैसे बिन पानी जीवन जी जाये

मायने बदल गए कई रिश्तो के
दोस्तों को , उनको पहचाना जाए

मंहगे हुए आम इसी बहाने
चुराने आम आमबाग जाए

पौधे बोये थे मैंने कुछ दिन पहले
सुन्दर सुहावने आज कुछ फूल आये |

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न तेरे जाने का गम था
फिर भी हालेदिल कुछ कम था

आदत नहीं मय की मुझको
वर्ना आज मयखाने का मन था
-- Gaurav

 

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