Thought ( मनन ) - 30: अनु के पापा
Writer - Manisha Pandey
दो दिन पहले पुणे से मेरी दोस्त अनु आई थी। हम दोनों अलग-अलग शरीरों में जैसे एक-दूसरे की कार्बन कॉपी हैं। हमारे दिल-दिमाग एक, हमारे सपने एक, यहां तक कि हमारी लड़ाइयां और हमारी गालियां भी एक। लेकिन अभी मैं अनु नहीं, उसके पापा के बारे में कुछ बताना चाहती हूं। वो एक गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल हैं और हरियाणा के एक गांव में रहते हैं। पता है, वो अपनी दोनों बेटियों से, अपने स्कूल और अपने गांव की लड़कियों से क्या कहते हैं -1- अपने बापू से दहेज न मांग। उनसे आधा खेत मांग। आधा खेत भाई का तो आधा तेरा। अब कौन हल चलाना है। अब तो ट्रैक्टर से खेत जोतने हैं और लड़की भी ट्रैक्टर चला सकती है। अपना खेत खुद जोत और अपनी रोटी खुद कमा। अपना घर खुद बना।
2- भाई को राखी न बांध, न उससे पैसे ले। किसी से अपनी रक्षा करवाने की जरूरत नहीं। तू अपनी रक्षा खुद कर।
3- अपनी मर्जी से प्रेम कर, अपनी मर्जी से शादी कर। तेरा साथी कोई और नहीं ढूंढेगा। तू अपना साथी खुद ढूंढ।
4- तूने ससुराल नहीं जाना। न ही लड़के को घर जमाई बनाना है। दो लोग शादी करके अपना नया घर बनाओ।
5- प्रेम करने में कोई बुराई नहीं। प्रेम हो जाए तो किसी डर में न जीना। मेरी बच्ची, अगर प्रेम करने से लड़के का कुछ नहीं बिगड़ा तो तेरा भी कुछ नहीं बिगड़ा। किसी से प्रेम कर बैठे तो ये न सोचना कि अब उसी से शादी करनी पड़ेगी। वो अच्छा न लगे, तो उसे छोड़कर आगे बढ़ जाना।
6- घर से बाहर निकल, दुनिया देख। तू बाहर निकलकर मर भी जाएगी तो मुझे अफसोस नहीं होगा। लेकिन अगर तू दुनिया से डरकर इसलिए घर में बैठी रहेगी कि तू लड़की है, तो मुझे बहुत अफसोस होगा।
7- मेरे घर की इज्जत तेरे कंधों पर नहीं है। तू मेरी इज्जत नहीं, इसलिए इज्जत का ख्याल न करना। तू मेरा प्यार है, मेरा गुरूर है, अपना ख्याल करना।
ये अनु के पापा हैं। वो न कॉमरेड हैं, न कोई राजनीतिक चिंतक, विचारक। स्कूल में पढ़ाने और आज भी अपने खेत जोतने वाले एक साधारण इंसान। यह उनकी सहज बुद्धि से उपजी बातें हैं।
आप समझ रहे हैं न पढ़े-लिखे, शहरी, सो कॉल्ड मॉडर्न पापा लोगों, जो बेटे को प्रॉपर्टी देते हैं और बेटी को अपनी जाति में ढूढकर ससुराल।
दो दिन पहले पुणे से मेरी दोस्त अनु आई थी। हम दोनों अलग-अलग शरीरों में जैसे एक-दूसरे की कार्बन कॉपी हैं। हमारे दिल-दिमाग एक, हमारे सपने एक, यहां तक कि हमारी लड़ाइयां और हमारी गालियां भी एक। लेकिन अभी मैं अनु नहीं, उसके पापा के बारे में कुछ बताना चाहती हूं। वो एक गर्ल्स इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल हैं और हरियाणा के एक गांव में रहते हैं। पता है, वो अपनी दोनों बेटियों से, अपने स्कूल और अपने गांव की लड़कियों से क्या कहते हैं -1- अपने बापू से दहेज न मांग। उनसे आधा खेत मांग। आधा खेत भाई का तो आधा तेरा। अब कौन हल चलाना है। अब तो ट्रैक्टर से खेत जोतने हैं और लड़की भी ट्रैक्टर चला सकती है। अपना खेत खुद जोत और अपनी रोटी खुद कमा। अपना घर खुद बना।
2- भाई को राखी न बांध, न उससे पैसे ले। किसी से अपनी रक्षा करवाने की जरूरत नहीं। तू अपनी रक्षा खुद कर।
3- अपनी मर्जी से प्रेम कर, अपनी मर्जी से शादी कर। तेरा साथी कोई और नहीं ढूंढेगा। तू अपना साथी खुद ढूंढ।
4- तूने ससुराल नहीं जाना। न ही लड़के को घर जमाई बनाना है। दो लोग शादी करके अपना नया घर बनाओ।
5- प्रेम करने में कोई बुराई नहीं। प्रेम हो जाए तो किसी डर में न जीना। मेरी बच्ची, अगर प्रेम करने से लड़के का कुछ नहीं बिगड़ा तो तेरा भी कुछ नहीं बिगड़ा। किसी से प्रेम कर बैठे तो ये न सोचना कि अब उसी से शादी करनी पड़ेगी। वो अच्छा न लगे, तो उसे छोड़कर आगे बढ़ जाना।
6- घर से बाहर निकल, दुनिया देख। तू बाहर निकलकर मर भी जाएगी तो मुझे अफसोस नहीं होगा। लेकिन अगर तू दुनिया से डरकर इसलिए घर में बैठी रहेगी कि तू लड़की है, तो मुझे बहुत अफसोस होगा।
7- मेरे घर की इज्जत तेरे कंधों पर नहीं है। तू मेरी इज्जत नहीं, इसलिए इज्जत का ख्याल न करना। तू मेरा प्यार है, मेरा गुरूर है, अपना ख्याल करना।
ये अनु के पापा हैं। वो न कॉमरेड हैं, न कोई राजनीतिक चिंतक, विचारक। स्कूल में पढ़ाने और आज भी अपने खेत जोतने वाले एक साधारण इंसान। यह उनकी सहज बुद्धि से उपजी बातें हैं।
आप समझ रहे हैं न पढ़े-लिखे, शहरी, सो कॉल्ड मॉडर्न पापा लोगों, जो बेटे को प्रॉपर्टी देते हैं और बेटी को अपनी जाति में ढूढकर ससुराल।
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