Hindi Poem (हिंदी कविता ) - 17: ख्वाब
कलियों में कभी मुस्कायेंगे
पतझर में मुरझायेंगे भी
कभी बिजली कभी रौशनी
कभी भंवरा कभी कली
कभी चिडियों की तरह चह्केंगे
कभी उपवन सा महकेंगे
कभी मिट्टी की तरह मिटेंगे
मिटेंगे, मिटकर नया बनेंगे
कभी बादल की तरह बरसेंगे
चकोर की तरह भी हम तरसेंगे - गौरव
पतझर में मुरझायेंगे भी
कभी बिजली कभी रौशनी
कभी भंवरा कभी कली
कभी चिडियों की तरह चह्केंगे
कभी उपवन सा महकेंगे
कभी मिट्टी की तरह मिटेंगे
मिटेंगे, मिटकर नया बनेंगे
कभी बादल की तरह बरसेंगे
चकोर की तरह भी हम तरसेंगे - गौरव
जन्माष्टमी की शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteकल 23/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
bhaut hi acchi prstuti...
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDeletebhaav purn abhivyakti
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